Shyam's Loud thinking shared with friends & contacts.
Friday, March 6, 2015
बाट निहारे राधा
गोधूलि की वेला में,धूमिल मलिन सिकुड़ती परछाइयाँ।
विचलित व्याकुल, अतुलित अपरिमित आस लिएँ,
बाट रही निहार राधा, मनभावन की,
बाट रही निहार राधा की,
कब शाम ढले, कब श्याम मिले
कब शाम ढले, कब श्याम मिले।
#कविता
#हिंदी
,
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